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तन में मन में प्रीतम बसा || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2017)

2019-11-27 86 Dailymotion

वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />१४ मई २०१७<br />अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा<br /><br />दोहा:<br />कबीरा रेख सिन्दूर की, काजर किया न जाय ।<br />तन में मन में प्रीतम बसा, दूजा कहाँ समाय ।।<br />~ संत कबीर<br /><br />एक बुंद ते सब किया, यह देह का विस्तार ।<br />सो तू क्यों बिसारिया, अँधा मूढ़ गंवार ।।<br />~ संत कबीर<br /><br />माता का सिर मूड़िये, पिता कुँ दीजैं मार ।<br />बन्धु मारि डारे कुआ, पंडित करो विचार ।।<br />~ संत कबीर<br /><br />प्रसंग:<br />तन में मन में प्रीतम को कैसे बैठाए?<br />संसार क्या है?<br />मोह क्या है?<br />मोह से इतना आसक्ति क्यों हो जाती है?<br />सत्य क्या है?<br />"मै" के भाव से मुक्ति कैसे पाए?<br />क्या आकर्षण -विकर्षण दोनों मोह है?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते

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